जो आया था वो चला गया
यह कहते लोगों को सुना
जो आया है वो जाये कहाँ
जो चला गया वो था कहाँ
रचने वाला रच कर खेला
बना कर जोड़ा था ये मेला
मेले का जो चला यह रेला
समझो जुड़ेगा अब नया
खेल खेलता खेलने वाला
जोड़ तोड़ से जीवन बुनता
टूटता जुड़ता इस माटी से
घटा जमा का गणित गुना
3 टिप्पणियां:
सुंदर रचना।
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देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
गहन सोच..बहुत सुन्दर सार्थक रचना..
घटा जमा का गणित गुना।
वाह, लगता है यही जीवन रह गया है अब।
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