कैसे तबाह करके, मुझे तुम चले गए
एक झलक दिखा कर दीवाना कर गए
आज़ाद था घूमता दिल की लगी से दूर
दिल से दिल मिला कर दिवाला कर गए
हमको था गरूर अपने दौलत ए दिल का
लुट गये एक पल में, सब कुछ लुटा गए
पर्दे में छुपा था यूँ, खुदा का तराशा नूर
झोंके से हवा के, हम खुद ही बिखर गए
बस्ती अपनी गुम थी, तन्हा पड़े थे हम
कदमो की आहट थी, तूफान गुजर गए
नजूमी ने कहा था, उम्र है बरसों बरस
रूह भटकती है यूँही, जीते जी मर गए
पर्दे में छुपा था यूँ, खुदा का तराशा नूर
झोंके से हवा के, हम खुद ही बिखर गए
बस्ती अपनी गुम थी, तन्हा पड़े थे हम
कदमो की आहट थी, तूफान गुजर गए
नजूमी ने कहा था, उम्र है बरसों बरस
रूह भटकती है यूँही, जीते जी मर गए
2 टिप्पणियां:
पर्दे में छुपा था यूँ, खुदा का तराशा नूर
झोंके से हवा के, हम खुद ही बिखर गए
वाह, बेहतरीन भाव व प्रस्तुति।
बेहतरीन!!
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