रविवार, 27 जनवरी 2013

प्यार है प्यार

सबसे जुदा किया फिर क्यों जुदा हुए
वफा का सिखाके पाठ तुम बेवफा हुए

यह मेरा दिल है किराये का मकान नही
आज ठहरे फिर खाली करके चल दिए

याद रहे जहान वालो दिल बस बसता है
उजड़ता नही कभी जो हर हाल में जीये

अगर जुदा है तो फिर क्यों आँसू बहते
दिल से नही हैं वो जुदा क्यों नही कहते

अरे यह प्यार है प्यार कोई व्यापार नही
वरना प्यार के बोऱे बंद गोदामों में रहते   

शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

वीरान ज़िंदगी

वीरान से हो गई है, मेरी ज़िंदगी सारी
दुखों का ये मौसम, खुशियाँ इसमें हारी

हर दिन था एक ख़ुशी का
हर लम्हा नया सवेरा
क्यूँ जीवन मे दुखों ने
आकर के डाला डेरा
सावन मे क्यूँ लगे है, पतझड़ के जैसे डारी

बुलबुल से तुम चहकती
इस दिल की हर गली में
नज़र आती तेरी सूरत
बगिया की हर कली में
तुमसे बिछड़ के अब तो, जिंदगानी फिरती मारी

राजीव को ना पता था
कहाँ जान उसकी बस्ती
गुमनाम यूँ पड़ा था
बिन तेरे क्या थी हस्ती
तन्हाई मे तडपती, है ज़िंदगी बेचारी

बुधवार, 23 जनवरी 2013

चंद लम्हे

तेरी आँखें न हो नम, हमने ग़म तेरे चुरा लिये
काबा काशी हो आये, मुस्काये तू ये दुआ लिए
तुमने गैर बनाया हमे, सरेआम रुसवा किया
राजीव है अदा प्रेम की, सोचकर मुस्कुरा लिए


मंगलवार, 8 जनवरी 2013

तुम बिन

आज भरे मन से
ना चाहता बिछड़ा जाता हूँ
तुम बोल दूजे के बोल रहे
अपने को एकाँकी पाता हूँ

जब गठ बंधन हुआ तन का
मन को क्यों ना बाँध सके
ताउम्र का  था संकल्प लिया
उस ह्रदय को ना जान सके
मरु में पानी सा जीवन
तुम संग मै जीता जाता हूँ

परछाईं तुम्हारी बनकर मै
चारों पहर डोला करता था
पर देख दूजों की परछाईं
हर संग हमको टटोला था
तुम संग रहकर भी तुम संग
खुद को खुद संग ना पाता हूँ

यौवन कब आया याद नही
कब केश पके याद नही
तुम संग देखूँ  अपने को
ऐसा कोई क्षण जायदाद नही
देख कर अब आईना मै
ठूँठ खड़ा रह जाता हूँ

तुम बिन मंजिल न सोची थी
चलूँ उस मंजिल की ओर अभी
थक कर अगर अब बैठ गया
तो ना पा सकूँगा ठौर कभी
प्रश्न मुझे यूँ घेरे खड़े
स्वंम झुझता जाता हूँ

सोमवार, 7 जनवरी 2013

जहान से छुपा

जिस महफ़िल में भी हम गातें हैं
तुम उठ कर क्यों चले जाते हो
जिस महफ़िल में हम जाते नहीं
तुम ढूंढने क्यों वहाँ आते हो

दिल से मजबूर पर जुबां से दूर
पता सबको हैं फ़िर भी छुपाते हो
ये आँख मिचोली ये प्रेम की होली
खेल प्यार का हरपल खिलाते हो

दिल में कुछ और जुबां पर कुछ
दुनिया को तुम जो दिखाते हो
पर प्यार जो उतरा है चेहरे पर
उसे जहान से छुपा न पाते हो