कुछ भी तो ना चाहा पर कसक एक रह गई बाकी
मुहाफ़िज़ समझा जिसे विरोधियों का सरदार निकला
मुहाफ़िज़ समझा जिसे विरोधियों का सरदार निकला
दोस्ती जब किसी से की जाए
उसकी सखियों पहले गिनी जाएँ
उसकी सखियों पहले गिनी जाएँ
क्या क्या सुनायें दास्ताँ,
इस जहान की दोस्तों
चाहने वालों की कमी नही
अपनाने वाला एक भी नही
इस जहान की दोस्तों
चाहने वालों की कमी नही
अपनाने वाला एक भी नही
.मेरे अंगना तूफ़ान आया और सब उजड़ गया
बचा वही जो मुसीबत में झुकना सीख आया
बचा वही जो मुसीबत में झुकना सीख आया
कौन कौन कितने थे वो यह तो हमको याद नहीं
आज खो कर पाया हमको कोई उनके बाद नहीं
आज खो कर पाया हमको कोई उनके बाद नहीं
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