शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

तुम

तुम धोखे खाती रही और संभालती रही
दर्द ने बढ़ाये हाथ और तुम थामती रही
इन्ही सब के बीच रिश्ता प्यार का मिला
धरोहर न और को मिले तुम टालती रही

तुम आज की हो यही ज़माना कहता है
मिला जो लुटाती हो ज़माना कहता है
मुस्कुरा सहती रही सितम जब भी हुये
बिन तराशा पत्थर हो ज़माना कहता है

मोती तेरे अश्क़ न हो जाएँ इश्क हमारा
कत्ल ए आम हो ग़म तेरे इश्क हमारा
शानो पर तेरे दम निकले जब निकले
जहान रश्क करे ऐसा हो इश्क हमारा
 

बुधवार, 19 दिसंबर 2012

आल्लेलुइआ

ये घटना है बहुत सिंपल पर लगती गड़बड़झाला
क्लास में एक शैतानी बच्चा नाम नटखट लाला
टीचर उससे सवाल का जवाब पूछते घबराती
अगर वो पूछता तो उनका जवाब भी नही देपाती

था स्कूल का इंस्पेक्शन और टीचर को थी टेंशन
नटखट को कैसे रोकें वो हर प्रश्न पर देगा रिएक्शन
उसे समझाया कि कल की छुट्टी वो स्कूल न आये
पर वो आया देखा सभी टीचर खड़े पसीने से नहाये

इंस्पेक्टर ने आते ही पूछा संसार में हैं कितने देश
सब शांत बैठे थे नटखट को आ रहा था आवेश
उसने उठाया हाथ टीचर्स नोचने लगे अपने केश
नटखट चिल्लाया सर सिर्फ एक देश बाकि विदेश

इंस्पेक्टर चकराया बोला तूने कहाँ से पाया दिमाग
बोला मैडम की ज़र्रा नवाज़ी वर्ना काबिल न थे बाप
अच्छा एक प्रश्न और
बताओ मुझे क्रिकेट,  एक ओवर में कितनी बाल
टीचर समेत सब बोले सर एक ओवर में छ  बाल
इंस्पेक्टर के बोलने से पहले नटखट बोला गलत
इंस्पेक्टर बोला तुम हो गधे यही तो है सही जवाब
बाल तो होती एक  है फेंकी जाती छ बार जनाब

नटखट बोला सर मै आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ
इंस्पेक्टर बोला अवश्य देखें क्या है अपना भविष्य
पूछा उसने सर इजिप्ट के बच्चे क्यूँ रहते कंफ्यूज
इंस्पेक्टर समेत सभी टीचर्स  का उड़ गया फ्यूज
वो बोले नही ऐसा तो उन्होंने कहीं नही सुना पर
तो उनके डैडी मरकर क्यूँ मम्मी बन जाते हैं सर
एक और, सेव को आधा काटें वो दीखता किसके जैसा
सब थे मौन,वो बोला  सिम्पल दुसरे  आधे कटे हिस्से जैसा

कोई कुछ नही बोल रहा था अंदर खून खौल रहा था
पिद्दी सा विद्यार्थी, उनकी नॉलेज तौल रहा था
सोचा चुपचाप जाने में भलाई नही तो करेगा  खिंचाई
अनाउन्स हुई क्रिसमस वेकेशन न्यू इयर तक गयी टेंशन

छुट्टियों के बाद अजब नटखट का स्वभाव हो गया गजब
न छेड़ न शोर लगा नटखट नही है कोई और
नटखट ने जब बताया क्रिसमस की रात थे यीशु साथ
यीशु ने समझाया जीवन वही जो किसी के काम आया
करुना दया प्रेम और क्षमा के विषय में मुझे समझाया
इसलिए यीशु के उपदेशों को न्यू ईयर RESOLUTION  में अपनाया
आल्लेलुइआ आल्लेलुइआ आल्लेलुइआ आल्लेलुइआ

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

समीक्षा

तूफान था आया गुजर गया
किधर से आया किधर गया
कल जो डाला छप्पर था
आज फिर से उजड़ गया
एक बार फिर ली परीक्षा
धैर्य ने की जीवन समीक्षा
पुन: जोड़ कर टुटा जीवन
फिर टुटा टुटा सँवर गया




रविवार, 16 दिसंबर 2012

ख़ता

तुम रूठ गये हमको ख़ता का पता ना चला
तन्हा थे तन्हा हुए ना शिकवा ना कोई गिला

पखेरू हुए दिन संग के, जीना है अब बिन मन के
तेरा आना जन्नत जैसा पर जाना दोजख सा खला

उम्मीदों का दामन् हमने अब भी है थामा हुआ
नजरों पर कब्ज़ा तुम्हारा कतरा-ए-आँसू खला

वो कसमे वो वादे तुम्हारे हमने गीतोँ में थे उतारे
अब गीत सभी हमको बेमानी बेमतलब लगा

नफरत है अगर तुमको, क्यूँ सपनों में आते हमारे
दीवाना कहे सबसे कोई मौत से दे अब मिला


  

शनिवार, 15 दिसंबर 2012

हार चिंतन

हारे पर ये चिंतन क्यूँ लड़ने से पहले न किया 
जंग लगे हथियारों से क्यूँ फिर तूने जंग किया
सेना तेरी तेरी न थी तेरे लिए रणभेरी न थी 
बिन सोचे बिन जाने तूने क्यूँ हार का रंग लिया

अजय सारथि था रथ का, तेरे बंधन बंधा हुआ
जो तू सुनता ज्ञात उसे, न होता जो आज हुआ
तन कमजोर मन कमजोर, फिर ये आत्मघात
दुश्मन कौन समझ जरा कैसे हुआ ये पक्षपात

अभी समय है संभल सारथि मार्ग का ज्ञाता है
मार्ग वही चुन उसे पता है मार्ग कहाँ से जाता है
अजय अजय है कृष्ण रूप धर, मार्ग दिखायेगा
जिस मार्ग को तू न समझे जीत वही से लायेगा

उठ खड़ा हो मत हो निराश तन को कर मजबूत
साक्ष्य तेरे समक्ष खड़ा दुश्मन हो नेस्तनाबूत
तेरे जीवन की भूमि की छुपी उर्जा को पहचान
पीठ पीछे जो वार हुआ तू उनकी कर पहचान

          

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

प्यार प्यार है



 प्यार अँधा होता है सब जानते हैं
प्यार गूँगा होता है सब जानते हैं
प्यार बहरा होता है सब जानते हैं
प्यार गहरा होता है सब जानते हैं

प्यार को न चाहिये हाथ और पैर
प्यार नही जानता अपना या गैर
प्यार प्यार चाहता है न कोई बैर
प्रेम करना है स्वर्ग की सुखद सैर

प्यार अनुभूति है व्यापार नही
प्यार स्वतंत्र है कारागार नही
प्यार सर्वस्व है चारदीवार नही
प्यार एक पुष्प है तलवार नही

प्यार को देखो हर रंग में है
प्यार को पाओ हर संग में है
प्यार कण कण हर क्षण  में है
प्यार सत्संग संग रण में है

प्यार मीरा सूर यीशू रहीम है
प्यार पर्वत और महीन है
प्यार जात का  मोहताज नही
प्यार राजा का कोई ताज नही

प्यार कोई सीख नही
प्यार कोई भीख नही
राजीव समझ प्यार को
यदि जितना है संसार को 

शनिवार, 1 दिसंबर 2012

चलते चलते

जीने की तमन्ना हम भी रखते हैं
खुशिओं के साथ गम भी रखते हैं
ठहाके लगा कर हँसाते हैं तुमेह
पर आँखों नम  हम भी रखते हैं

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तुम मिलना नही चाहते कोई बात नही
न देखना दिखाना न दिल में जज़्बात सही
आग लगानी थी ज़माने ने लगा दी
पर तन, मन की प्यास बुझाएगा वहीं

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हम जानते हैं तुमेह हमारी ज़रूरत नही
पर जहाँ में जिया दूसरों के लिए जाता है
राजीव पर अहसान जो दो कदम संग चले
कोई पूछे मरने के बाद कैसे जिया जाता हैं