शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

मायने नही बदले

पहले लिखता था तुम्हारे बिना
मायने वही थे पर तुम्हारे बिना
आज लिखता हूँ तुम्हे तकते हुए
पर मायने नही बदले लिखते हुए

तुमने कहा कविता अब बदल गई
कविता वही कलम राह बदल गई
नशा तब भी था कलम के जाम में
नशा अब भी है कविता के नाम में

बदले न तो हम न ही हमारी लेखनी
अगर बदला कोई तेरी ये प्रेम रौशनी
जितना तुम हमारे भीतर समाते हो
उतना हमे भीतर से बाहर कराते हो

पहले लेखनी तरसती थी प्रेम पाने को
अब धडकती है तेरे प्रेम में खो जाने को
न मायने बदले न ही कलम की गति
अगर बदला है कोई तो भाग्य इठलाने को               

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

?

उदास हूँ तुमेह ही क्यूँ दिखा,
                 चेहरा खिला रहता है ज़माना कहता है
छिपा अश्क तुमेह ही क्यूँ दिखा 
                  रोतों को हँसाता हूँ ज़माना कहता है