शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

कसक रह गई


कुछ भी तो ना चाहा पर कसक एक रह गई बाकी
मुहाफ़िज़ समझा जिसे विरोधियों का सरदार निकला



phoolJHADI


कुछ भी तो ना चाहा पर कसक एक रह गई बाकी
मुहाफ़िज़ समझा जिसे विरोधियों का सरदार निकला


दोस्ती जब किसी से की जाए
उसकी सखियों पहले गिनी जाएँ



क्या क्या सुनायें दास्ताँ,
इस जहान की दोस्तों
चाहने वालों की कमी नही 
अपनाने वाला एक भी नही


.मेरे अंगना तूफ़ान आया और सब उजड़ गया
बचा वही जो मुसीबत में झुकना सीख आया


कौन कौन कितने थे वो यह तो हमको याद नहीं 
आज खो कर पाया हमको कोई उनके बाद नहीं




भयानक दिखता है


अब तो हर दिन भयानक दिखता है
नए नाटय का कथानक दिखता है
कथा पुरानी पात्र क्यों नया रुप धर्ता
नई वार्ता नया जोश अंग अंग भरता
कुछ अच्छा भी होगा नया नया सा
सोच मन सोच, सोचने में क्या लगता
पता नहीं कौन सी सोच कब बिक जाए
क्या पुराना भी नया अचानक दिखता है

इंतजार था तुम्हारा


बीमार का हाल पुछने दुनिया आई 
पर आँखों को इंतजार था तुम्हारा 
खुदा से दुआ मांगते है वो नहीं आयें 
उनके माथे की शिकन न देखी जयेगी 
हम खुद ब खुद मर मर कर जीलेंगे
सारे दर्द हम अपने में समेट यूँ लेंगे 
जनाजा भी अपना दर्द भी अपना 
बस दीदार ए यार आँख खुली पायेंगे


अपना मोती


मौज नहीं चाहिये मैं साहिल चाहता हूँ
खुशीय़ां ज़िंदगी मे षमिल चाहता हूं
बुंद हुं सागर की सीप की टलाश में 
चोला बदल अपना मोती चाहता हूं

आया नया सवेरा


चलो देखें नया  सवेरा आया
कुछ बदलाव लाया
धन मन और प्रेम का
क्या कुछ नया भाव आया
वाह धन चोटी पर
मन खूंटी पर
प्रेम का शेयर आज भी नहीं खुल पाया

सोचता हूँ


सोचता हूँ
क्या सोचता हूँ मैं
क्या सिर्फ सोचकर
सोचता हूँ मैं
सोचता हूँ
क्यूँ सोचता हूँ मैं