बुधवार, 30 मई 2012

मोहब्बत में दुखता बहुत है

मोहब्बत में कहते हैं दुखता बहुत है
मगर मेरी सोचो तो सुखदा बहुत है

प्यारा जो अपना है जीवन का सपना
चाहा सब उसका ही त्यागा सब अपना
जीते हैं मरते हैं उसके लिए ही
क्यूँ ऐसा लगता है विपदा बहुत है

खुदा का करिश्मा जो हम इसमें जलते
बुझाने से बुझती न लगाये ये लगती
हमारा तजुर्बा ये जलके तो इसमें देखो
फिर ये कहोगे वाह आनंद बहुत है

बिन जुर्म के भी सज़ा पाओगे तुम
फूल तुम नही पर महकाओगे तुम
अहसास होगा प्यार का उनके जब
तुम्हे यूँ लगेगा की कर्जा बहुत है

रात कब आई दिन कब छिपेगा
उसके सिवाए तुझे  कुछ न दिखेगा
जियेंगे पर सोच अपनी बस ये कहेगी
प्यार में इतना जीना जीना बहुत है