रविवार, 29 दिसंबर 2013

ऐसा वैसा


छुपाना पड़े जो चेहरा कुछ ना हो ऐसा वैसा
दागी ना हो वस्त्र कभी जो लगे ऐसा वैसा

मिलजुल सब लोग रहे लगे एक परिवार जैसा
एक जगह सर्वधार्मिक काम लगे संसार जैसा

पहनावा कुछ ऐसा हो बट ना सके जात जैसा
खाना सबको मिले सदा मिले दाल भात ऐसा

मस्तिषक में भर प्रभु सब के कुछ एक जैसा 
देख एक दूजे को ना आये विचार ऐसा वैसा  

शनिवार, 28 दिसंबर 2013

शक़ ना करो

शक़ ना करो हम पर तुम
जब से है देखा इन आँखों ने तुमको
ना जाना किसी को ना चाहा किसी को
बस रहती हैं ये गुमसुम, शक़ ना करो हम पर तुम

तुम्हारा वो हँसना, हँस कर लज्जाना
महफिल में आना आ कर सताना
गैरों  से बातें और हमको जलाना
बस हो गया अब छुपना छुपाना
इतना करो न सितम, शक़ ना करो हम पर तुम

ये इश्क़ हमारा ना सबको गंवारा
छुपा कर जहान से है दिल में उतारा
चंदा सा चेहरा जुल्फी घटायें
रह रह कर दिल को पागल बनायें
दिल में रहते हो तुम, शक़ ना करो हम पर तुम

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

न वो मरेगा

कोई  पा कर मरेगा
कोई खो  कर मरेगा

कोई तन से मरेगा
कोई मन से मरेगा

कोई लूट से मरेगा
कोई टूट से मरेगा

कोई सर्वस्व पा कर मरेगा
कोई सर्वस्व खो कर मरेगा

क्यूँ न ऐसा कर जायें
मरेगा पर न वो मरेगा

रविवार, 15 दिसंबर 2013

निगोड़ा

कैसा निगोड़ा कलयुग ये आया
कलम दवात कागद सब खाया