शनिवार, 2 अप्रैल 2011

मेरी शादी

कल तक था मै एक कुंवारा 
गलियों फिरता था आवारा 
आज मुझ पर रोक लगा दी
क्योंकि आज है मेरी शादी 

शशि रंजना सब रोयेंगी
टीना मीना बाट जोहेंगी 
रीना सुनीता सभी गंवादी
क्योंकि आज है मेरी शादी

पीलिये का बुखार हो गया
हल्दी संग अब प्यार हो गया
खूबसूरती की परत चढ़ा दी 
क्योंकि आज है मेरी शादी

अपना कमरा अपना पलंग 
बंद दरवाजा पड़े अधनंग
कैसे छोड़े जिसके थे आदि   
क्योंकि आज है मेरी शादी

पुराने पत्र पुराने सब चित्र 
कैसे ताड़ेंगे वो हसीन मित्र 
अब बंधे खूंटे आज़ादी त्यागी
क्योंकि आज है मेरी शादी

नून तेल लकड़ी का भाव
मिर्च मसाला रोटी पुलाव 
मोल भाव के होंगे हम आदि 
क्योंकि आज है मेरी शादी

एक डर अब सदा खायेगा 
छुपा लो, पता लग जायेगा 
दिल की छमिया बुआ बनादी
क्योंकि आज है मेरी शादी

अब हम बच्चों के मामा होंगे
परायी देख ना आँख मलेंगे 
जिंदा होंगे मौत के ही आदि 
क्योंकि आज है मेरी शादी   

 

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

होनी है सबकी,
एक दिन तो शादी।

Sushil Bakliwal ने कहा…

आजादी का जश्न ! शुभागमन...!
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