सीधी राह ढूंढे न मिली
पथरीले पथ विरले चले
तू एक अकेला चल चला
मंजिल पाने बन विरला
कष्टों के घाव न दिखें तेरे
जो तेरे हैं वो न दिखें तेरे
काँटों को अब फूल समझ
फूल महके, उसे दूर समझ
फूल महके, उसे दूर समझ
चेहरा पढ़ तेरा न पता चले
थकन की अग्न, न तू गले
पथिक तुझे संग ले जायेंगे
राह मंजिल की भटकायेंगे
राह मंजिल की भटकायेंगे
जो मंजिल तेरे समक्ष खड़ी
भुला, तुझे ओझल करवायेंगे
तू एक अकेला बन विरला
देख पीछे पीछे सब आयेंगे
1 टिप्पणी:
राह पकड़ ले जो मन भाये,
आने दे जो पीछे आये।
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