हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ग्वाल बनू और बाल संग खेलूं
तू बिलोये मै माखन लेलूं
मेरा भी जी चाहे
हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
जमुना जांऊ गोते लगाऊं
मटकी फोडूं और छुप जांऊ
तू आवे धमकावे
हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
कदम्ब चढ़ जाएँ गोपियाँ नहायें
वस्त्र चुराए कान्हा और वो लज्जायें
कान्हा की लीलायें
हम भी देखनो चाहें
हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
काहे जन्मा पथरान मैं मै
माटी मथुरा ना चख पायो
ब्रज मोहे कह कह चिढावे
हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
कान्हा सखा का रूप मै पातो
सुदामा के संग मै भी रिझातो
और कछु ना मै चाहतो
हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
कान्हा सुनता है सबकी सुनो
जो कछु चाहो वासे मांग लीनो
राजीव कही कही गावे
हो मैया मोरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
ओरी माँ मेरी कान्हा अब क्यूँ ना आये
4 टिप्पणियां:
आपका गायन सुन्दर
आपकी चाहत सुन्दर
सुन्दर है आपकी यह प्रस्तुति
जिससे हर्षित हो मेरा मन
करता है मस्ती ही मस्ती
आपके ब्लॉग पर मुझे आने में देरी हुई इसका मुझे अफ़सोस है.
पर आप देर न लगाएं मेरे ब्लॉग पर आने में. प्लीज .....
सुन्दर गीत, कान्हा तो है सबका प्यारा।
bahut sundar bhavapoorn prastuti...
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति| धन्यवाद|
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