सोमवार, 28 मार्च 2011

नैन

नैनो से लड़े जब नैन
ना सुख पाया ना चैन
पथराये से खोये खोये
कुछ ढूंढ़ रहे सब रैन

नैनो के द्वारे कसक
मन में उठती है टीस
प्रेम की सुनती धमक 
अंगो में चलती चीस
बेदर्दी दर्द को बढ़ाकर
हरने लगते सुख चैन  

लाज आती ज्यूँ मिलते
नहीं मिलते तो मचलते
तुमको न कहीं खो जाएँ
पग संभल संभल चलते
नहीं सोते नहीं जग पाते
बावरे हुए फिरतें ये नैन 

सावन के अंधे  हो गए
तुम्हारे रूप संग खो गए
जादू कर चुरा के जीवन
हम सम्मोहन में सो गए
नहीं चाहें टूटे अब नींद
तुम्हे कैद कर गये नैन

नैनो से लड़े जब नैन
ना सुख पाया ना चैन
 

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आँखों से निकल भागा चैन।

Kailash Sharma ने कहा…

सावन के अंधे हो गए
तुम्हारे रूप संग खो गए
जादू कर चुरा के जीवन
हम सम्मोहन में सो गए
नहीं चाहें टूटे अब नींद
तुम्हे कैद कर गये नैन

...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..