अजब गजब से विचार जब आते हैं मगज
शरीर की सारी इन्द्रियां हो जाती हैं सजग
गर्मी का मौसम, भारी शरीर, गिरे धड़ाम
चोट न थी पर दर्द की खुलने लगी दुकान
लंगड़ाते से चल पड़े लेने दवाई उस दर्द की
तभी हमे सलाह मिली भिखारी हमदर्द की
बाबु मामूली दर्दों से क्यों घबराते हो तुमडॉक्टर की तुम फीस से हो जाओगे सुन्न
खाज, घमोरी, सूजन, खुरंड न करते ये तंग ये तो अपने साथी हैं तुम खेलों इनके संग
खाज खुजाओ, सूजन दबाओ, पाओगे आनंद
डॉक्टर छोड़, देखो अपने हाथ है परमानन्द
सूजन को दबाता रह सूजा ही मिट जायेगा
1 टिप्पणी:
वाह।
एक टिप्पणी भेजें