रविवार, 27 मार्च 2011

खाज खुजा सूजन दबा

अजब गजब से विचार जब आते  हैं मगज
शरीर की सारी इन्द्रियां हो जाती हैं सजग
गर्मी का मौसम,  भारी शरीर,  गिरे धड़ाम
चोट न थी पर दर्द की खुलने लगी दुकान
लंगड़ाते से चल पड़े लेने दवाई उस दर्द की
तभी हमे सलाह मिली भिखारी हमदर्द की            
बाबु मामूली दर्दों से क्यों घबराते हो तुम
डॉक्टर की तुम फीस से हो जाओगे सुन्न
खाज, घमोरी, सूजन, खुरंड न करते ये तंग
ये तो अपने साथी हैं तुम खेलों इनके संग
खाज खुजाओ, सूजन दबाओ, पाओगे आनंद  
डॉक्टर छोड़, देखो अपने हाथ है परमानन्द 
ज्यों बढ़ेगी खाज तेरा हाथ नहीं हट पायेगा
सूजन को दबाता रह सूजा  ही मिट जायेगा