कलम कवि की
बंसी के छेद, तभी स्वर फूटें रिश्तों में भेद हो तो घर टूटें sahi kaha apne bahut khub
सर या स्वर, क्या फूंटे, समाज सोच ले। सुन्दर भाव।
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2 टिप्पणियां:
बंसी के छेद, तभी स्वर फूटें
रिश्तों में भेद हो तो घर टूटें
sahi kaha apne bahut khub
सर या स्वर, क्या फूंटे, समाज सोच ले। सुन्दर भाव।
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