आज नही था कल जैसा
कल न जाने क्या होगा
मौसम संग सम्पूर्ण आस
जो बिता गया कल न होगा
करवट बदलते पेट रीते
चाँद तारे संग में जीते
विश्वास तुमेह भरना होगा
मौसम तेरी दहाड़ आजसी
रीते बर्तन बजा गयी
बेधुन रीते, जग हंसाई
धुन बर्तन भरना होगा
रीते बर्तन बजा गयी
बेधुन रीते, जग हंसाई
धुन बर्तन भरना होगा
5 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रेरक रचना। आभार।
रीता रीत मन,
सूना सा जीवन,
प्यास लगी है,
लिखने की धुन।
बहुत बढ़िया!
अच्छी प्रस्तुति
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....
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