मंगलवार, 31 मई 2011

दर्शन दो हमें श्याम जी

राधा हो चाहे मीरा हो
या हो बंसी श्याम की
तीनो ही ना हमें सुहावें
तीनो ना किसी काम की

राधा मीरा कुछ न कहती
बंसी अधरों पर ही रहती
कैसे कोई सुन पाये बोलो
बोली अपने श्याम की

तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

हमको है अब श्याम से कहना
श्याम संग अब हमें भी रहना
वरना त्याग अन्न जल हम  
छोड़ें अपने प्राण जी

तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

गीता का उपदेश ना भूले
प्रेम का सन्देश ना भूले
तीनो का हम भेद करे ना
दर्शन दो हमें श्याम जी

तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

मीरा ने दीवानी बनकर
राधा ने सयानी बनकर
बंसी ने अधरों पर जमकर
पाया तुमको श्याम जी

तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

हर पहर में तुमको जपते
दर्शन को हैं हम तरसते
तीनो से जो तुम थक जाओ
आओ अंगना श्यामजी

तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

तीनो चाहो आदर अपना
पूरा कर दो हमारा सपना
एक बार श्याम को बोलो
सुन ले हमारी आस भी

तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

तीनो को हम पूजें तब ही
आप संग घनश्याम जी, नही तो


तीनो ही ना हमें सुहावें, तीनो ना किसी काम की

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कृष्ण के तीन आकर्षण पर आकर्षक कविता।