बुधवार, 18 मई 2011

ठौर

अंधकार चारो ओर
पथरीला पथ
दूर चमकता एक पुंज
किरण है उसकी
दूर तक
बनाए अपना अलग पथ
तू देख किरण की ओर
वही है तेरी ठौर

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

न जाने कहाँ ठिकाना,
यहाँ बस आना जाना।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया...