शुक्रवार, 20 मई 2011

चलो मिलकर गाएँ हम

नन्हे मुन्ने बच्चे बैठे कथा बांचने ज्ञान की 
पढ़ लिख कर नाम करें शान हों हिंदुस्तान की
हिंद की शान हैं हम, चलो मिलकर गाएँ  हम 

माँ बाप की पूजा करें, जो लाये हैं हमे जहान में 
वन में भटके राम जहाँ, पितृ वचन के मान में 
नचिकेता यम ललकारे, दिया  पिता ने दान में 
होलिका, प्रहलाद जले, पर राख हुई अभिमान में   
कण कण से इतिहास कहे, बाते स्वाभिमान की 
नन्हे  मुन्ने  बच्चे  बैठे  कथा  बांचने  ज्ञान  की 


हिंद की शान हैं हम चलो मिलकर गाएँ हम 


भांति भांति के लोग यहाँ पर, एक संसार बसातें हैं 
भाषा चाहे अपनी अलग,  जन गण  सुर में गाते हैं 
त्योहारों की हर ख़ुशी, हम मिल कर संग मनातें हैं 
पूजें पत्थर पुस्तक संग, हम वन्दे मातरम गातें हैं  
माटी अपनी सुर्ख अभी भी, कथा कहे बलिदान की 
नन्हे  मुन्ने  बच्चे  बैठे,  कथा  बांचने  ज्ञान  की 


हिंद की शान हैं हम चलो मिलकर गाएँ हम


कश्मीर से कन्याकुमारी रिश्ते नाते बस्तें हैं
एवरेस्ट पर जाकर भी हम अपने झंडे कस्तें हैं  
गंगा यमुना जैसी नदियाँ माँ बन पूजी जाती हैं
धरती की रक्षा कर नारी लक्ष्मीबाई कहलाती  है
मोर, शेर और कमल हमारे सम्पदा हैं राष्ट्र की  
नन्हे  मुन्ने  बच्चे  बैठे,  कथा  बांचने  ज्ञान  की


हिंद की शान हैं हम चलो मिलकर गाएँ हम

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हम चलो मिलकर गाएँ हम

बहुत सुन्दर गीत।