गर तुम न हंसोगे तो
दुनिया वीरान होगी
इस चमकते सूरज मे
एक ढलती शाम होगी
एक हल्की सी हंसी जो
आएगी तेरे लब पर
उस लब को चूम लूँगा
हर गम से मै झगड़ के
इस दिल की उस गली मे
फिर जश्ने शाम होगी
दुनिया वीरान होगी
इस चमकते सूरज मे
एक ढलती शाम होगी
एक हल्की सी हंसी जो
आएगी तेरे लब पर
उस लब को चूम लूँगा
हर गम से मै झगड़ के
इस दिल की उस गली मे
फिर जश्ने शाम होगी
गर तुम न हंसोगे तो, दुनिया वीरान होगी
देने को हर ख़ुशी मै
घूमा फिरा था हर दम
देखूं मै कैसे छाया
चेहरे पे तेरे यूँ गम
गम की ये छायी बस्ती
कब कत्ल ए आम होगी
गर तुम न हंसोगे तो, दुनिया वीरान होगी
अपनी तो बस दुआ ये
खिलती रहे हमेशा
तुझको न ये पता हो
गम नाम होता कैसा
खुशिओं की बारिशें ही
तुझ पर निसार होंगी
गर तुम न हंसोगे तो, दुनिया वीरान होगी
1 टिप्पणी:
चाह अकेली, हँस लेते सब।
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