बुझ चूका है दिया मेरे संसार का
ग़म खाए जा रहा मुझे बिछड़े यार का
वो बचपन का खेला वो जवानी का मेला
संग संग रहे हम न छोड़ा अकेला
आज करके अकेला तू कहाँ छुप गया रे
आज करके अकेला तू कहाँ छुप गया रे
एक बार तो बता तू पता अपने घर का
न दिनों का पता था न रातों की चिंता
संग चले थे सदा खोया पल भी नही था
वो बारिश का पानी, उसमे भीगी जवानी
गर्मियों की घमोरी, तन से टप टप पानी
सर्दियों का वो कम्पन, दोस्त संग सहा था
अब कैसे कटेगी जिंदगानी पता क्या
उपर वाले बता तू तेरा कैसा ये खेला
बिछोड़ा तो बनाया क्यूँ प्यार उडेला
दोस्तों की कमी है तुने उसको बुलाया
एक बार ना सोचा कैसे दिल दहलाया
कैसे अब सहूँ बिछोड अपने यार का
अब कैसे कटेगी जिंदगानी पता क्या
उपर वाले बता तू तेरा कैसा ये खेला
बिछोड़ा तो बनाया क्यूँ प्यार उडेला
दोस्तों की कमी है तुने उसको बुलाया
एक बार ना सोचा कैसे दिल दहलाया
कैसे अब सहूँ बिछोड अपने यार का
ग़म खाए जा रहा मुझे बिछड़े यार का
2 टिप्पणियां:
जाने वाले याद आते हैं।
Bhaiya..again great lines..
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