बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

बुझा दिया

मै दिया हूँ बुझ जाऊंगा अभी 
तुम मुझे हवाओं से दूर रखों 
मेरे पास तो बैठों ज़रा सी देर 
थोड़ी ओट करो थोडा जीने दो

उम्र यूँही तमाम मेरी डर डरी
थोडा हौंसला भी तो लेने दो 
चैन टीमटीमाहट को मिले
अपनी रेखाओं से तो जकड़ों

तेरी एक चिंगारी लेके मै 
राह चल पड़ा जो तुने दी 
खुदको जलाया इसलिए 
तेरी राह में उजाला तो हो

तुमने है पायी जो मंजिलें
उनमे हमारा ही साथ था 
जो तुम कहो अकेले थे तुम 
हम बुझ गये ये धुआं बहे   

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बीती राह का उजाला किसे याद रहता है।

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर भावो को उकेरा है।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..

Sam ने कहा…

बहुत सुन्दर.....Great One..