मै दिया हूँ बुझ जाऊंगा अभी
तुम मुझे हवाओं से दूर रखों
मेरे पास तो बैठों ज़रा सी देर
थोड़ी ओट करो थोडा जीने दो
उम्र यूँही तमाम मेरी डर डरी
थोडा हौंसला भी तो लेने दो
चैन टीमटीमाहट को मिले
अपनी रेखाओं से तो जकड़ों
तेरी एक चिंगारी लेके मै
राह चल पड़ा जो तुने दी
खुदको जलाया इसलिए
तेरी राह में उजाला तो हो
तुमने है पायी जो मंजिलें
उनमे हमारा ही साथ था
जो तुम कहो अकेले थे तुम
हम बुझ गये ये धुआं बहे
4 टिप्पणियां:
बीती राह का उजाला किसे याद रहता है।
बहुत सुन्दर भावो को उकेरा है।
बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर.....Great One..
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