बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

दोस्ती

आज एक दुश्मन मिला जो 
दोस्त का चोला ओढ़े था 
दोस्ती अपनी निभाने 
अस्त्र शस्त्र वो जोड़े था

दोस्ती का रूप अनोखा 
कहीं प्रेम है कहीं है धोखा 
मत कर यारी आँखें मूंदे 
पीनी होगी लहू की बूंदे  
अब कुछ ऐसे भी आते हैं 
समय पर धोखा दे जाते हैं 
दोस्ती की परिभाषा में वो  
लहू में लथपथ हो जाते हैं 

आओ उस इंसान को ढूंढे 
दोस्त बने शैतान को ढूंढे 
उसके उजले वस्त्र मिलेंगे 
दाग नही छुपे शस्त्र मिलेंगे 
मुख भरा मुस्कान से होगा 
रूप मिला शैतान से होगा
कोसने का असर न कोई 
बिन हिले चट्टान सा होगा 

और जो चाहो उसे जानना 
करना उससे गलत कामना 
इच्छा जो तेरी पूरी करदे 
गलतियों से दामन भर दे 
उससे बड़ा न दुश्मन कोई
उसमे दोस्ती बीज न बोई 
एक दिन ऐसा घात करेगा 
जिसका न कभी घाव भरेगा

दोस्तों चाहे अकेले रहना 
दोस्ती में ध्यान से बहना 
वर्ना एक दिन पछताओगे 
मेरे संग तुम भी गाओगे 
आज एक दुश्मन मिला जो 
दोस्त का चोला ओढ़े था 
दोस्ती अपनी निभाने 
अस्त्र शस्त्र वो जोड़े था

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच्चे और अच्छे को तो पहचानना पड़ेगा।

Sam ने कहा…

Kya baat hai Bhaiya....bahut hi badhiya....Great lines...आज एक दुश्मन मिला जो
दोस्त का चोला ओढ़े था
दोस्ती अपनी निभाने
अस्त्र शस्त्र वो जोड़े था