कर्कश कर्राहट करता जीवन यूँ निकला जाता है
क्या पाया जन्म गंवाया नजर कुछ नही आता है
पथरीले पथ रिस्ते रिश्ते घाव बढ़ाते संग साथ चले
पग पग कोशिश करते मंजिल मुझसे दूर दूर चले
एकाग्र न खो व्याग्र न हो बस पथ पर अपने चला चल
छदम भेष में पग पग पर तुझे भटकायेंगे छलावे छल
देख तनिक उस सैनिक को जो छोड़ सब जीता जाता है
टिमटिमाती लौ जलाती बाती पगडंडी को चमकती है
तू तेरी मंजिल पाने में अपना सयम क्यूँ खोता जाता है
कर्कश कर्राहट भरे जीवन में मंजिल की ओर आता है
क्या पाया जन्म गंवाया नजर कुछ नही आता है
पथरीले पथ रिस्ते रिश्ते घाव बढ़ाते संग साथ चले
पग पग कोशिश करते मंजिल मुझसे दूर दूर चले
एकाग्र न खो व्याग्र न हो बस पथ पर अपने चला चल
छदम भेष में पग पग पर तुझे भटकायेंगे छलावे छल
देख तनिक उस सैनिक को जो छोड़ सब जीता जाता है
टिमटिमाती लौ जलाती बाती पगडंडी को चमकती है
तू तेरी मंजिल पाने में अपना सयम क्यूँ खोता जाता है
कर्कश कर्राहट भरे जीवन में मंजिल की ओर आता है
2 टिप्पणियां:
विरोध में भी लक्ष्य पर नजर गड़ाये रखनी होगी हमें।
विरोध के बाद भी जीवन आगे बढने से कभी नहीं रुका ....बस बढते जाएँ
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