प्रभु मैंने वरदान था माँगा
मुर्ख रहूँ अहसान था माँगा
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
सुनने को तैयार नही कोई
पर मुझे सबसे सुनवा दिया
लोग आते अपनी कह जाते हैं
जैसे ही मैं कहता लुप्त हो जाते हैं
बचपन में पढ़ा करते थे
जहाँ न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि
सोचा तभी कवि बनेगें हर जगह पहुचेंगे
पर ये न पता था अपनी सुनाने
ढूंढते सुनने वालों को कन्दराओं तक पहुंचा दिया
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
जहाँ जाते हैं सब छुप जाते हैं
यदा कदा अनजान कोई हमसे मिलता है
खूब हँसता है हँसाता है
जैसे ही पूछता हमारा परिचय
हम गौरवान्वित हो कहते कवि
उसे या तो सुनना बंद हो जाता है
या बिना उत्तर दिए कोई काम याद आ जाता है
भाई ऐसा हमने क्या बता दिया
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
हे पूर्वज कवियों जब पता था पीढ़ी का हश्र ये
क्यूँ न सपनों में आकर हमे समझा दिया
काहे भाई सुरिंदर शैल आदित्य जैसे संप्ल दिखा दिए
पुरे नही पर कुछ गुण हममे ला दिए
आज आयोजक बुलाने से पहले दरियां सिम्त्वाओगे की condition लगाते हैं
हमारे पूछने पर वो तम्बू लगाने से पहले तम्बू वाले की शर्त बताते हैं
आज सुनाया दरी को सुनाया उठाया फिर सोते हुए से लिफाफा दिलवा दिया
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
मुर्ख रहूँ अहसान था माँगा
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
सुनने को तैयार नही कोई
पर मुझे सबसे सुनवा दिया
लोग आते अपनी कह जाते हैं
जैसे ही मैं कहता लुप्त हो जाते हैं
बचपन में पढ़ा करते थे
जहाँ न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि
सोचा तभी कवि बनेगें हर जगह पहुचेंगे
पर ये न पता था अपनी सुनाने
ढूंढते सुनने वालों को कन्दराओं तक पहुंचा दिया
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
जहाँ जाते हैं सब छुप जाते हैं
यदा कदा अनजान कोई हमसे मिलता है
खूब हँसता है हँसाता है
जैसे ही पूछता हमारा परिचय
हम गौरवान्वित हो कहते कवि
उसे या तो सुनना बंद हो जाता है
या बिना उत्तर दिए कोई काम याद आ जाता है
भाई ऐसा हमने क्या बता दिया
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
हे पूर्वज कवियों जब पता था पीढ़ी का हश्र ये
क्यूँ न सपनों में आकर हमे समझा दिया
काहे भाई सुरिंदर शैल आदित्य जैसे संप्ल दिखा दिए
पुरे नही पर कुछ गुण हममे ला दिए
आज आयोजक बुलाने से पहले दरियां सिम्त्वाओगे की condition लगाते हैं
हमारे पूछने पर वो तम्बू लगाने से पहले तम्बू वाले की शर्त बताते हैं
आज सुनाया दरी को सुनाया उठाया फिर सोते हुए से लिफाफा दिलवा दिया
हाय रे मुझे क्यूँ कवि बना दिया
1 टिप्पणी:
मूर्खता का आनन्द अवर्णनीय है।
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