श्रद्धा मान पूजी नारी
तुल्य देवी सी सारी
सौन्दर्य की अद्भुता
ममता माँ में उभारी
आज बिखर से गये
नारी समस्त वो रूप
नारी को न भाए नारी
गुण गये कहाँ सूख
नारी नारी का कर रही
शोषण पल प्रति पल
चित्रपट पर देख सदा
दुश्चरित्र कपट व् छल
कंधे से कन्धा मिला
चली छमक संग संग
परनारी संग बोलते
पुरुष को कहे वो नंग
परपुरुष नारी मिले
माने सब संग साथ
बूझो तो झट से कहे
कन्धा कंधे के साथ
हर क्षण नारी पर करे
नारी ही घातक वार
पुरुष काहे सब सहे
विधि की लिखी मार
नारी को नारी दिखे
शारीरिक भूख की मारी
पुरुष छुपा रिश्तों से फिरे
कब कहलाये व्यभिचारी
अब तो नारी सुध लेले
वरना तेरी भी आये बारी
बदन के रिश्ते से बड़े
निभा रही और भी ये नारी
तू क्यूँ कोसती अब जाती
पुरुष संग हो परनारी
पता नही हो पूज्य रुप मे
पर तेरे कारण थू सारी जाति
तुल्य देवी सी सारी
सौन्दर्य की अद्भुता
ममता माँ में उभारी
आज बिखर से गये
नारी समस्त वो रूप
नारी को न भाए नारी
गुण गये कहाँ सूख
नारी नारी का कर रही
शोषण पल प्रति पल
चित्रपट पर देख सदा
दुश्चरित्र कपट व् छल
कंधे से कन्धा मिला
चली छमक संग संग
परनारी संग बोलते
पुरुष को कहे वो नंग
परपुरुष नारी मिले
माने सब संग साथ
बूझो तो झट से कहे
कन्धा कंधे के साथ
हर क्षण नारी पर करे
नारी ही घातक वार
पुरुष काहे सब सहे
विधि की लिखी मार
नारी को नारी दिखे
शारीरिक भूख की मारी
पुरुष छुपा रिश्तों से फिरे
कब कहलाये व्यभिचारी
अब तो नारी सुध लेले
वरना तेरी भी आये बारी
बदन के रिश्ते से बड़े
निभा रही और भी ये नारी
तू क्यूँ कोसती अब जाती
पुरुष संग हो परनारी
पता नही हो पूज्य रुप मे
पर तेरे कारण थू सारी जाति
4 टिप्पणियां:
sundar rachna ! rajive ji
नारी के विषय में आपकी "छोटी सोच और विचार " कहती हैं आप की ये कविता .
YE KALAM TO KEVAL PURUSH KI HAI RAJEEV JI ..
एक संक्रमण से गुजर रहा है समाज।
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