मेरा स्थान हवाओं सा
मेरी महक है फूलों सी
मै चहका करता पंछी सा
रक्षक बन चुभन शुलों सी
बन बन फैला वृक्षों सा
आरक्षण, अन्तरिक्ष सा
मेरी निर्मलता जल जैसी
मेरी मिठास एक फल जैसी
मेरी ममता में धरा गुण
मेरी चाहत सरगम धुन
तीखी किरणे सूरज सी
शीतलता चंदा मूर्त सी
तुम पूछते मेरा परिचय
में प्रकृति डोलूं झूलों सी
4 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया...
बहुत खूब, लाजबाब !
great bhaiya.....keep it up....
बहुत सुन्दर
एक टिप्पणी भेजें