मकड़ी तनिक समझा हमे
कैसे बुना तुने ये जाला
अकेले लगी रही तू बुनने
बुन डाले मोड़ संग आला
तेरी बुद्धि को हम सराहते
तेरी बुद्धि को हम सराहते
लगी रही लगन के रास्ते
फंसने वाला न बाहर भागे
कितने करीब रखे ये धागे
मेहनत करना तुझसे सीखे
सभी जोड़ मोड़ एक सरीखे
तेरी कला का नही है सानी
जोड़ लगे पर गाँठ न जानी
बिन गांठ के तोडा जोड़ा
हमे भी समझा तू थोडा
अपने भी जब तोड़े जुड़े
गांठ हमेशा ही बीच पड़े
तुझे गुरु बना हम पूजें
बता गांठ न हो एक दूजे
मकड़ी तू तो मकड़ी है
बुद्धि मानव से तगड़ी है
1 टिप्पणी:
बहुत सच कहा आपने।
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