शुक्रवार, 10 जून 2011

रवि तक न पहुंचे कोई मैंने वो राह भी जोई

मेरा एक अनुभव अनोखा 
आपने न सुना 
पर मुझे मिला मौका 
दिन में आँखें खुली पर स्वप्न एक आया 
और खुद को एक अजीब लोक में पाया 
स्वर्ग या नर्क 
ये अभी तक समझ नही आया 
आमने सामने दो महल जैसे खड़े थे 
और दोनों ही में तीन तीन फाटक जड़े थे 
दोनों महल जैसे अलग अलग धर्मो के 
जुड़े हुए मकान थे 
शायद कौमी एकता की अजब पहचान थे 
एक पर जहन्नुम HELL और नर्क नाम के फाटक 
दुसरे पर जन्नत HEAVEN और स्वर्ग नाम का फाटक
न कोई आता दिखा न कोई जाता 
बस चारों ओर था अजब सन्नाटा 
अचानक रामलीला की वेशभूषा में 
एक पात्र दिखाई दिया 
कौताहल वश पूछ लिया 
ये स्थान कौन सा है जिसने मुझे भटका दिया
उसने कहा
आप कर्म और कुकर्म के बीच पड़े हैं 
आपके दोनों ओर
इंद्र महल और यम नगरी खड़े हैं 
पर भाई 
दोनों ओर जाने को धार्मिक रास्ते 
ताकि इन्सान यहाँ आकर न लड़ें इस वास्ते 
रास्ते यहाँ तीन तीन हैं 
पर सब एक के अधीन हैं 
यहाँ पर क्यों इतना सन्नाटा 
क्या भी कोई धार्मिक चाँटा
ओ मेरे प्रश्नों के व्यापारी 
लो शंका दूर करूँ तुम्हारी 
बहुत समय से
इंद्र के कुछ बंधक राक्षस भागे हुए थे    
उनके कुछ अंश एक ही जगह मिल गये हैं
उन्हें ही देखने सभी एक जगह एकत्रित हैं 
जो पाए गयें हैं उनमे प्रमुख हैं
भ्रष्टाचार अत्याचार कामुकता झूठ 
चोरी धोखा कपट छल और लूट
बाकि अभी भी धरती के दुःख हैं 
आज इनके अंश कुछ विशेष के पास हैं
और जिन्हें घेर के लाया गया है 
एक ही के पास हैं 
एक ही के पास ?
हाँ भाई हमे भी न दिखाई देता 
अगर न मरा होता धरती का नेता 
तुम एक सीख लेलो 
नेता से बचो बाकि सब झेलो 
मैंने जो सर झटका दिवार से टकरा गया 
और मै होश में आ गया    

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

Sunil Kumar ने कहा…

अच्छी रचना ,बधाई

निर्मला कपिला ने कहा…

आअजकल नेता और धार्मिक गुरू मे भी फर्क क्या रह गया है? अच्छा व्यंग सपने के माध्यम से।