मंगलवार, 21 जून 2011

नई कोपल

माली को खबर 
फूल मुर्झा रहे हैं
पतझड़ आया 
पेड़ पत्ते टपका रहें हैं

अब समय 
नई कली संग कोपलों का 
पुराने समय से 
जा रहें हैं
 

3 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति..

Rajeysha ने कहा…

अजीब सी बात है हर रोज हम ही माली होते हैं, हम ही झड़ते हुए पत्‍ते और हम ही नई कोंपलें... आखि‍री बार झड़ के गि‍र जाने तक

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दर्शन में भरी अभिव्यक्ति।