कलम कवि की
सुन्दर प्रस्तुति..
अजीब सी बात है हर रोज हम ही माली होते हैं, हम ही झड़ते हुए पत्ते और हम ही नई कोंपलें... आखिरी बार झड़ के गिर जाने तक
दर्शन में भरी अभिव्यक्ति।
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सुन्दर प्रस्तुति..
अजीब सी बात है हर रोज हम ही माली होते हैं, हम ही झड़ते हुए पत्ते और हम ही नई कोंपलें... आखिरी बार झड़ के गिर जाने तक
दर्शन में भरी अभिव्यक्ति।
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