पूजन को संसार मे गुरु से बड़ा ना कोई
लुटाता रहे ज्ञान धन, पर कंगला ना होई
पढ़ा लिखा हो मानव, वो ही गुरु ना कहावे
अनपढ़ जो देवे शिक्षा गुरु की श्रेणी में आवे
जो मै चाहूँ बैठ लिखूं, गुरु की परिभाषा क्या
मूर्खों का राजा दिखूं, सूर्य चमकीला करूँ बयाँ
पूजन को संसार मे गुरु से बड़ा ना कोई
राजीव लुटावे ज्ञान धन लूट सके ना कोई
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