सोमवार, 20 सितंबर 2010

मायने

शब्द कोष मे शब्द पढ़े थे
सुंदर वाक्यों मे भी जड़े थे
आज मायने पूछने उनके
जब कोई मुझ तक आता है
मै उम्र के इस पड़ाव मे
उनको विस्तृत समझाता हूँ

हम उस युग मे जो भी पढ़ते थे
उसे अपने जीवन संग गढ़ते थे
तब लिखे के मायने असल थे
चरित्र मे डूबे, दर्शाते अमल थे
आज कठिन लगते हैं मायने
गुरु भी ढूंढें, समझाने के बहाने

तब प्रेम प्रेम, और द्वेष द्वेष था
आज प्रेम द्वेष का मायने  एक  
जो झलकावे अधूरी शिक्षा है पाई
तख्ती कलम खोए सूखी रोशनाई
सीख सीखी तब रखना चाहूँ याद
मायने वही जिसमे ना हो अपवाद 

1 टिप्पणी:

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

अच्छा लिखा है..सिवाय दो शब्द के..
विस्तर्त-विस्तृत
बाहिनें-बाएं...दाहिने होता है पर बाएं के लिए केवल बाएं ही प्रयोग होता है