शनिवार, 19 नवंबर 2011

रिश्ता जोड़ गये

जब एक एक कर सब छोड़ गये
एकांकी कर मुख सब मोड़ गये
तब भावों ने आ मुझे संभाला है
पृष्ठों पर उमड़ विचार निकला है

सब भीतर ही था छुपा हुआ
पर भौतिकवाद मुझे घेरे था
अभिव्यक्ति से व्यक्त हुआ
क्यूँ नैतिकता में घिरा रहा

सब विमुख हो, सम्मुख कर
धकेल साहित्यिक दहलीज पर
मुझे कहाँ अकेला छोड़ गये
मुझे मेरे ही भीतर जोड़ गये

मुझे कलम दवात हाथ थमा
भाव विचार मेरे माथ जमा
साहित्य से रिश्ता जोड़ गये
जब एक एक कर सब छोड़ गये


4 टिप्‍पणियां:

Anamikaghatak ने कहा…

umda lekhan

Unknown ने कहा…

मुझे कलम दवात हाथ थमा
भाव विचार मेरे माथ जमा
साहित्य से रिश्ता जोड़ गये
जब एक एक कर सब छोड़ गये

बेजोड़ पंक्तियाँ बधाई

POOJA... ने कहा…

मुझे कलम दवात हाथ थमा
भाव विचार मेरे माथ जमा
साहित्य से रिश्ता जोड़ गये
जब एक एक कर सब छोड़ गये
awesome lines...
bahut hi badhiya rachna...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

लेखनकर्म सहारा है,
बहुधा हमें उबारा है।