सोमवार, 28 नवंबर 2011

मिलने की चाह

आज दिन भर मुलाक़ात ना हो सकी अपनेआप से
सिवाय मेरे हर व्यक्ति मिला मुझ बड़े साहेब से

ढले हुए सूरज की शीतल रौशनी मै
मुस्कुराता मस्तीभरा चला
लिए मिलने की चाह अपनेआप से

परन्तु हर रोज की तरह
यादों ने छीन लिया
अकेलापन मुझसे
रह गई अधूरी चाह
मिलने की अपनेआप से

आज मिल ना सका
कोई गम नहीं
फिर किसी अच्छे दिन
लूँगा मिलने का appointment अपनेआप से

4 टिप्‍पणियां:

अनुपमा पाठक ने कहा…

सबसे मिलते हैं हम और अपने आप से ही मिलना भूल जाते हैं...!
सटीक अभिव्यक्ति!

Pallavi saxena ने कहा…

सच ही तो है जीवन कि आपाधापी में अक्सर हम खुद से ही नहीं मिल पाते..इसलिए एक न एक दिन ज़रूर ले ही लीजिये गा appointment अपने आप से बहुत बढ़िया प्रस्तुति आभार समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अपने आप से मिल लेना बहुत ही आवश्यक है।

शरद सिन्हा ने कहा…

भागते इंसान के पास आज इतनी भी फुर्सत कहा है राजीव जी.