माटी गूँथ आकार मिला
न जीने को संसार मिला
था नाम दीया दीया मुझे
व्यर्थ था पड़ा यूँ बुझे बुझे
तभी बाती बतियाने आई
चिंगारी संग तेल सलाई
मुझमे संगम होने लगा
अंधकार में प्रकाश जगा
स्वयं जल जो प्रकाश बहे
जीवंत ही वो जीवन रहे
न जीने को संसार मिला
था नाम दीया दीया मुझे
व्यर्थ था पड़ा यूँ बुझे बुझे
तभी बाती बतियाने आई
चिंगारी संग तेल सलाई
मुझमे संगम होने लगा
अंधकार में प्रकाश जगा
स्वयं जल जो प्रकाश बहे
जीवंत ही वो जीवन रहे
4 टिप्पणियां:
जीवन जीवंत बना रहे।
स्वयं जल जो प्रकाश बहे
जीवंत ही वो जीवन रहे
saty kaha aaapne ..........
wah!!!
जीवंतता बनी रहे!
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