रविवार, 11 दिसंबर 2011

कैसे चुकाऊं कर्जा


हे प्रभु क्यूँ इस जहान पर इतना अत्याचार किया
जनम दिलवा माँ बाप से सबको करजदार किया

कैसे कर्जा चुकाऊं मैं यह सोच सारा जनम गया
पर कर्जा माँ बाप का मेरे संग आया संग ही गया

तेरी लीला तू जाने राजीव ना पूछे यह सब क्यूँ किया
पर एक बात तू सच बता तुने तेरे कर्जे का क्या किया

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

sateek prashna uthatee kavita

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कभी चुकाया जा नहीं सकता है यह कर्ज।