अपने आंसुओं पर रखो काबू
आज बेटी बिदा होती बाबू
बचपन में खेली जिस अंगना
आज वो भी चला मेरे संग ना
कैसे पिया का चल गया जादू
छोड़ कर सब सखियाँ सहेली
चिड़िया सी चहकती थी खेली
कर सूना तेरे घर का कोना
मै चली पर तू यादें न खोना
बेटी परछाईं कहती सदा तू
मैया अब तू किसे डांटेगी
किसके बालों में कंघी फांसेगी
खनखनाती खामोश रसोई
कोई तंग न करेगा तू सोई
कैसे अकेली सम्भालेगी घर तू
भाई छोड़ चली तुझे बहना
तू माँ बापू का एक ही गहना
झगड़े जो हुए सब भूल जाना
पर राखी पर बहिना बुलाना
देख बचपन छोड़ेगा अब तू
मुझे कर दिया सबने पराया
जब से पिया को मुझसे जुडाया
क्या बेटी का रिश्ता हूँ खोई
अब कुछ करूं, न रोके कोई
यही विधि का विधान बता तू
आज बेटी बिदा होती बाबू
आज बेटी बिदा होती बाबू
बचपन में खेली जिस अंगना
आज वो भी चला मेरे संग ना
कैसे पिया का चल गया जादू
छोड़ कर सब सखियाँ सहेली
चिड़िया सी चहकती थी खेली
कर सूना तेरे घर का कोना
मै चली पर तू यादें न खोना
बेटी परछाईं कहती सदा तू
मैया अब तू किसे डांटेगी
किसके बालों में कंघी फांसेगी
खनखनाती खामोश रसोई
कोई तंग न करेगा तू सोई
कैसे अकेली सम्भालेगी घर तू
भाई छोड़ चली तुझे बहना
तू माँ बापू का एक ही गहना
झगड़े जो हुए सब भूल जाना
पर राखी पर बहिना बुलाना
देख बचपन छोड़ेगा अब तू
मुझे कर दिया सबने पराया
जब से पिया को मुझसे जुडाया
क्या बेटी का रिश्ता हूँ खोई
अब कुछ करूं, न रोके कोई
यही विधि का विधान बता तू
आज बेटी बिदा होती बाबू
3 टिप्पणियां:
सच में बड़ी कठिन घड़ी होती है यह।
आज बेटी बिदा होती बाबू
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
वाह.....क्या शब्द चयन है .......बहुत खूब ...आँखे भीग आई
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