कलम कवि की
औरों के लिये लिखना, न लिखने के बराबर है, तुलसीदास सा लिखिये स्वान्तः सुखाय।
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औरों के लिये लिखना, न लिखने के बराबर है, तुलसीदास सा लिखिये स्वान्तः सुखाय।
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