कलम कवि की
कलम कवि की
मंगलवार, 3 अगस्त 2010
मौत
मौत
जिंदगी को तू कब तक ढोना चाहेगी
समय समय
पर उसको छध्म बाग़ दिखाएगी
बेचारी जिंदगी,
तेरे चुंगल से कब छुट पायेगी
राजीव बता इसे
एक दिन ये सवयं मौत बन जायगी
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