रविवार, 8 अगस्त 2010

राष्ट्र की पहचान

हमको अपने देश पे मान यहाँ मिले अधात्म का ज्ञान
हर धर्म के लोग यहाँ पर हर धर्म है ज्ञान की खान
धर्म कर्म से हमने पाया भारत को शिखर पर पहुँचाया
अनेक भाषा, अनेक धर्मो ने मिलकर हिंदुस्तान बनाया


आओ करे हम उनकी बात जो हैं इंडिया को दर्शाते
सब में से एक एक को चुनकर राष्ट्र संग का दर्जा पाते


देखो मै जंगल का राजा, हिम्मत है तो सामने आजा
मुझसे सारा जग डरता है मेरे समक्ष पानी भरता है 
मुझसे तेज न कोई भागे, करूँ शिकार पहुंच के आगे
अब हम जंगल में थोड़े हैं डर कर अपने घर छोड़े है 
अपनी न है कोई औकात मानव मारे  रख कर घात


मै हूँ मोर आपका देखो, सावन आता मै खो जाता
भूल के मै पैरों की बात नाचता झूमता सारी रात
मेरे अग्रज अब न चाहे करूँ मै मानव के संग बात
वो कहते स्वार्थ है छाया मानव भर कर गोली लाया 
किसी भी क्षण वो करेगा घात, क्या सुनाऊ तुमको बात


मै हूँ नन्हा मुन्ना फूल, कमल नाम तुम गये क्यों भूल
मै कीचड़ मे हूँ  खिलता  हर स्थान पर नहीं मै मिलता
जो मुझको नुक्सान पहुंचाए उसको शर्म बहूत ही आये
कीचड़ में जो भी उतरेगा मुख तन कीचड़ कीच मलेगा
कीचड़ ही है मेरा निवास फटके न कोई डर के  पास


ओ हमारे हिंद के वासी क्या कहें हम बात ज़रा सी
हमको भी जीने का हक है हिंद में रहने का हक है
हम बढ़ाते हिंद की शान हिंद के राष्ट्रीय  सम्मान
न मारो हमे तुम इन्सान हम भी अपने राष्ट्र की जान

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