कलम कवि की
कलम कवि की
शनिवार, 31 जुलाई 2010
प्रदुषण
चटर पटर करते पटाखे
कितना शोर करते पटाखे
चारों ओर धुआं ही धुआं
दूषित हवा करते पटाखे
मल को जल में मत मिला
जल के संग जीवन होए
मल जल दलदल बने तो
जीवित बचा नहीं कोई
2 टिप्पणियां:
Jandunia
ने कहा…
nice
31 जुलाई 2010 को 10:53 pm बजे
E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi
ने कहा…
सही कहा है आपने.
1 अगस्त 2010 को 4:04 pm बजे
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2 टिप्पणियां:
nice
सही कहा है आपने.
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