बुधवार, 28 जुलाई 2010

गोज

आया पाया पोतड़ा
गया कफ़न के संग
जीवन पूरा कर गया
कमाया खूब बे अंत

जो कमाया यहीं रहा
छूटा देह का बोझ
ना पोतड़ा जगह मिली
ना कफ़न में कोई गोज

1 टिप्पणी:

Anamikaghatak ने कहा…

bahut sundar prastuti.....gahare bhav.........
darshnik vichardhara