चिंगारी नफरत की
भीतर लिये फिरते रहे
रिश्ते खाक कर दोष रिश्तों पर मढ़ते रहे
तुम तो सदा तुम थे हम समझ ना सके
आइना समझा और अस्क हम ढूढ़ते रहे
संभल कर चले उम्रभर कहीं गिर न जाएँ
गिरे तो उठाने को तुम्हे खुदा समझते रहे
रिश्ते खाक कर दोष रिश्तों पर मढ़ते रहे
तुम तो सदा तुम थे हम समझ ना सके
आइना समझा और अस्क हम ढूढ़ते रहे
संभल कर चले उम्रभर कहीं गिर न जाएँ
गिरे तो उठाने को तुम्हे खुदा समझते रहे
तुम संग थे फिर
क्यों जुदाई का अहसास
दिल की अनसुनी कर दिमाग
रगड़ते रहे
सुनी बस्ती का
सूनापन महसूस ना किया
हम
हममे तूम तुममे हम तुम ढूढ़ते रहे
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