ये ईद है तुम्हारी तुम्हारी है दिवाली
ऐ खुदा क्यों तूने मुझको कर दिया खाली खाली
बरसों से मेरे दिल में भी जलती थी फुलझड़ियाँ
पर इस बरस बुझी हैं मेरी चाहतों की लड़ियाँ
फूलों की महक सबकी पर मेरी डोली खाली
ये ईद है तुम्हारी तुम्हारी है दिवाली
ये जगमगाते आँगन त्योहारों की बौछारें
क्यों खुशियाँ रूठी मुझसे, जो अंगना ना बुहारें
दीये मेरे अबके सब तेल से हैं खाली
ये ईद है तुम्हारी तुम्हारी है दिवाली
सबको हज़ार खुशियाँ लीपे हैं दर सभी के
भाग्य है रूठा हमसे हम मर रहे हैं जी के
आस उनकी खुशियाँ बरसे हटे मेरी बदरी काली
ये ईद है तुम्हारी तुम्हारी है दिवाली
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