आज सुबह जब आँख खुली
एक नई किरण ने दस्तक दी
उसकी चमक में आँख मली
बीता हुआ था सब रीत गया
सपने जो हकीकत थे समझे
मन पल में ही सब जीत गया
अब बीते का अफ़सोस नही
मन में सपनों का बोझ नही
नई किरण संग नया सवेरा
जो चला गया वो ना था मेरा
अब उठ खड़ा हो मन मेरे
पोंछ लकीरें अब मस्तक की
नई राह अब देख दिखे तेरी
उस नई किरण ने दस्तक दी
एक नई किरण ने दस्तक दी
उसकी चमक में आँख मली
बीता हुआ था सब रीत गया
सपने जो हकीकत थे समझे
मन पल में ही सब जीत गया
अब बीते का अफ़सोस नही
मन में सपनों का बोझ नही
नई किरण संग नया सवेरा
जो चला गया वो ना था मेरा
अब उठ खड़ा हो मन मेरे
पोंछ लकीरें अब मस्तक की
नई राह अब देख दिखे तेरी
उस नई किरण ने दस्तक दी
2 टिप्पणियां:
अब बीते का अफ़सोस नही
मन में सपनों का बोझ नही
नई किरण संग नया सवेरा
जो चला गया वो ना था मेरा ...
सत्य है ... जो बीत गई वो रात है ... आने वाला तो आज है ... सुन्दर रचना है ...
नई किरणें पथ प्रदर्शन करें।
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