बदलता समय बदलते लोग
न जो बदले कष्ट रहे भोग
आज जो अपने कलके सपने
दिल के वो सब बनेंगे रोग
सीढ़ी बनायेंगे सब चढ़ने को
चढ़ते ही तुझे भुलायेंगे लोग
दोष न उनका होगा प्यारे
समय संग बदले सब लोग
तेरी करनी तुझे ही भरनी
आँख मूंद क्यूँ रहा था सोच
आज जो पाया क्यूँ पछताया
बदल समय संग जैसे लोग
न जो बदले कष्ट रहे भोग
आज जो अपने कलके सपने
दिल के वो सब बनेंगे रोग
सीढ़ी बनायेंगे सब चढ़ने को
चढ़ते ही तुझे भुलायेंगे लोग
दोष न उनका होगा प्यारे
समय संग बदले सब लोग
तेरी करनी तुझे ही भरनी
आँख मूंद क्यूँ रहा था सोच
आज जो पाया क्यूँ पछताया
बदल समय संग जैसे लोग
1 टिप्पणी:
सबको यह संसार मिला,
पर नहीं किसी को सार मिला,
सब बदला बदला..
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