रविवार, 1 जुलाई 2012

बदल समय संग

बदलता समय बदलते लोग
न जो बदले कष्ट रहे भोग
आज जो अपने कलके सपने
दिल के वो सब बनेंगे रोग
सीढ़ी बनायेंगे सब चढ़ने को
चढ़ते ही तुझे भुलायेंगे लोग
दोष न उनका होगा प्यारे
समय  संग बदले सब लोग
तेरी करनी तुझे  ही  भरनी
आँख मूंद क्यूँ रहा था सोच
आज जो पाया क्यूँ पछताया
बदल समय संग जैसे लोग

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबको यह संसार मिला,
पर नहीं किसी को सार मिला,
सब बदला बदला..