मंगलवार, 17 जुलाई 2012

नई किरण की दस्तक

आज सुबह जब आँख खुली
एक नई  किरण ने दस्तक दी

उसकी चमक में आँख मली
बीता हुआ था सब रीत गया
सपने जो हकीकत थे समझे
मन पल में ही सब जीत गया

अब बीते का अफ़सोस नही
मन में सपनों का बोझ नही
नई किरण संग नया सवेरा
जो चला गया वो ना था मेरा

अब उठ खड़ा हो मन मेरे
पोंछ लकीरें अब मस्तक की
नई राह अब देख दिखे तेरी
उस नई किरण ने दस्तक दी 

2 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अब बीते का अफ़सोस नही
मन में सपनों का बोझ नही
नई किरण संग नया सवेरा
जो चला गया वो ना था मेरा ...

सत्य है ... जो बीत गई वो रात है ... आने वाला तो आज है ... सुन्दर रचना है ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नई किरणें पथ प्रदर्शन करें।