जिनके लिए हमने छोड़ी थी दुनिया
दुनिया से ही हमको आज मिटा बैठे
दुनिया से ही हमको आज मिटा बैठे
लुट तो चुके थे हम, कुछ भी न बचा था
पर ढूंढ़ कर बचा वो फिर भी चुरा बैठे
उनका तो वादा था, जन्मो जन्म तक का
अगला न देखा पर, वो आज का मिटा बैठे
हम मिट गये तो क्या, हाथों से उन्ही के
आखिरी सांस जो निकली गोदी में जा बैठे
कातिल न समझो उनको नन्हा सा दिल हैं वो
सादगी ये उन्ही की थी, जान हम लुटा बैठे
ये न समझना लोगो गैर हो गएँ हैं अब वो
कत्ल जो किया उन्होंने, पूरा दिल लगा बैठे
मौत तो आनी है , बचेगा न कोई उससे
एक नजर तो देखो हम जन्नत में जा बैठे
5 टिप्पणियां:
यही जान लुटाना तो बहुतों को अखरता है..
ati uttam prastuti
utkrishtha post .bdhai mere blog ki nai post par svagat hae.
मेगा सुन्दर रचना :)
सुन्दर रचना
अरुन (arunsblog.in)
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