शनिवार, 20 अगस्त 2011

यौवन तान

गदराया सा ये बदन
झील से गहरे नयन
सुंदर सुडोल यौवन 
डोलता डोले युवामन
खींचता मुझे हर क्षण
तोड़ने को सारे वचन

फूल की पंखुरी से होठ
गेसुओं सी नागिन चोट 
चाँद से चेहरे की वो ओट
तपती  साँसों की वो लोट
सुनाएँ मुझे एक ही तान 
आज तोड़ दे सारे वचन